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लेखनी प्रतियोगिता -28-Dec-2023 लास्ट गुड बाय

शीर्षक = लास्ट गुड बाय 



कभी कभी हम लोग न चाहते हुए भी इस तरह की गलतियां कर बैठते है जिसका अफ़सोस हमें उम्र भर रहता है और उस तरह की गलतियों को करने में सबसे ज्यादा अहम किरदार हमारी खुद की अना होती है जो हमसे इस तरह की गलतियां करवा बैठती है.


बात है कुछ साल पहले की ज़ब मैं और मेरा सबसे अच्छा दोस्त कॉलेज में पढ़ते थे। सब लोग हमारी दोस्ती की मिसाल दिया करते थे हम लोग एक दुसरे से कुछ भी नही छिपाया करते थे हर एक चीज साँझा किया करते थे खाने से लेकर कॉपी किताब तक,


लेकिन फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि हमारी दोस्ती तकरार में बदल गयी उसकी वजह थी उसका एक लड़की से प्यार करना और उस बारे में मुझे नही बताना शायद वो किसी अच्छे मोके का इंतज़ार कर रहा था या फिर वो अपने प्यार को सब से छिपा कर ही रखना चाहता था जो कि उसका हक़ था भले ही हम दोस्त थे लेकिन उसकी अपनी भी तो निजी( पर्सनल )जिंदगी थी जरूरी तो नही था कि वो अपनी हर बात ही साँझा ( शेयर )करे मुझसे,


लेकिन उस समय ये बात मेरे समझ में नही आयी मुझे लगा कि उसने ये बात छिपा कर कोई गुनाह किया है, ज़ब उसने कॉलेज के आखिरी दिन सबके सामने अपने प्यार को सामने लाया तब मुझे बहुत ही बुरा लगा भले ही मैं सामने से खुश था लेकिन अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा गुस्सा था और उसी गुस्से के चलते उस दिन के बाद से हमारी दोस्ती के बीच दरार सी आ गयी थी उसे मैंने नही बताया कि मैं उससे नाराज़ हूँ बस दूरी बना ली थी जिसका पता उसे भी चल गया था इसलिए ही तो वो मेरे दफ्तर आया था मुझसे मिलने शायद वो शहर छोड़ कर जा रहा था शायद मुझसे आखिरी बार मिलने आया था मुझे गुड बाय कहना चाहता था लेकिन मेरे गुस्से और मेरी अना ने मुझे रोक लिया और मैं चाह कर भी उससे नही मिला सेक्रेटरी से कह कर उसे दफ्तर से जाने का कह दिया


लेकिन नही जानता था कि उसे उस दिन आखिरी बार देख रहा हूँ उस दिन के बाद से वो दूर बहुत दूर चला जाएगा जहाँ कोई भी शख्स जीते जी उसके पास नही जा सकता।


सही समझें आप लोग उस दिन दफ्तर से जाने के बाद एक ट्रक ने उसकी गाड़ी को कुचल दिया जिसमे उसकी अचानक मौत हो गयी ज़ब तक दोस्तों से इस बात का पता मुझे चला ज़ब तक बहुत देर हो चुकी थी उसे आखिरी बार देखने का उसकी अर्थी पर रोने का मौका भी नही मिला क्यूंकि ज़ब तक मुझे पता चला था तब तक उसकी चिता को आगी दे दी गयी थी और मैं बस पीछे खड़ा पछता रहा था और सोच रहा था कि काश एक बार उससे मिल लिया होता वो खुद मेरे पास आया था मुझसे मिलने लेकिन मैंने उससे बात करना तो दूर मिलना भी अच्छा नही समझा।


आज भी मैं इसी पछतावे के साथ जी रहा हूँ कि उसे आख़री बार गुड बाय भी नही कह सका जिंदगी इतनी छोटी है कि कब किससे, कहा कोनसी मुलाक़ात आख़री हो इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है ना जाने कब तक मैं यूं ही पछतावे की आग में जलता रहूँगा शायद ज़ब तक ज़ब तक की यमराज आकर मेरे प्राण न निकाल ले जाए शायद तब तक ये कहकर अविनाश ने अपनी डायरी में लिखना बंद कर दिया और उसी पर सर रख लेट गया।


समाप्त....
प्रतियोगिता हेतु.....


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4 Comments

Khushbu

07-Jan-2024 05:57 PM

V nice

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Gunjan Kamal

31-Dec-2023 11:35 AM

शानदार प्रस्तुति

Reply

Shnaya

30-Dec-2023 09:58 AM

Nice

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